गाड़ी चलाने का कुछ नियमावली-
2) प्रत्येक यात्रियों तथा पथिकों के साथ नम्रता एवं भद्रता से पेश आये।
3) प्रत्येक ट्राफिक (यातायात) नियमों का पालन करें।
4) दोपहिया चालक और सवार दोनों ही नियमीत माप स्तर का हेलमेट व्यवहार करें।
5) गतिशील ट्राम के अलावे किसी अन्य वाहन के बायें से ओवरटेक न करे।
6) आगे के वाहन से समान दूरी बना कर गाड़ी चलायें।
7) किसी भी साधारण सड़क पर अन्य गाड़ी के साथ गति कि प्रतियोगिता न करें। बिना कारण में आगे की गाड़ी को ओवरटेक करने का प्रयास न करें। ओवरटेक करने के लिए सटीक समय और अवसर की प्रतीक्षा करें।
8) टैक्सी और आटो रिक्सा चालक बिना कारण की यात्रीयों के साथ बातें और परेशान न करें।
9) यात्रियों के साथ गाड़ी पर कोई ज्वलनशील पदार्थ, संक्रामक रोगी तथा किसी पशु का वहन न करें।
4) दोपहिया चालक और सवार दोनों ही नियमीत माप स्तर का हेलमेट व्यवहार करें।
5) गतिशील ट्राम के अलावे किसी अन्य वाहन के बायें से ओवरटेक न करे।
6) आगे के वाहन से समान दूरी बना कर गाड़ी चलायें।
7) किसी भी साधारण सड़क पर अन्य गाड़ी के साथ गति कि प्रतियोगिता न करें। बिना कारण में आगे की गाड़ी को ओवरटेक करने का प्रयास न करें। ओवरटेक करने के लिए सटीक समय और अवसर की प्रतीक्षा करें।
8) टैक्सी और आटो रिक्सा चालक बिना कारण की यात्रीयों के साथ बातें और परेशान न करें।
9) यात्रियों के साथ गाड़ी पर कोई ज्वलनशील पदार्थ, संक्रामक रोगी तथा किसी पशु का वहन न करें।
10) निर्दिष्ट परिमान में ही माल तथा यात्रियों की वहन करें जो आर सी (बलु बूक) में लिखी गयी है।
11) नींद आने तथा तंद्रा आने पर चालक गाड़ी रोक कर विश्राम करें।
12) आगे बच्चों तथा विद्यालय देख कर सतर्क रहें।
11) नींद आने तथा तंद्रा आने पर चालक गाड़ी रोक कर विश्राम करें।
12) आगे बच्चों तथा विद्यालय देख कर सतर्क रहें।
13) सरकारी भारप्राप्त व्यक्ति के माँगने पर अपना कागज-पत्र तत्काल दिखायें।
उसे न दिखाना दण्डनीय अपराध है।
उसे न दिखाना दण्डनीय अपराध है।
14) गाड़ी के साथ हमेशा मूल (Original) कागज ही रखें।
15) प्रत्येक गाड़ी चालकों को यह जानकारी होना चाहिये कि जो गाड़ी वह चला रहा है, वह डीजल से चलनेवाली है या पेट्रोल से, और इन्जन कितने हर्सपावर और कितने सिलेन्डर का है।
15) प्रत्येक गाड़ी चालकों को यह जानकारी होना चाहिये कि जो गाड़ी वह चला रहा है, वह डीजल से चलनेवाली है या पेट्रोल से, और इन्जन कितने हर्सपावर और कितने सिलेन्डर का है।
Q. किस-किस जगहों पर गाड़ी ओरव टेक नहीं कि जा सकती है ?
Ans.
किस-किस जगह पर गाड़ी पार्किंग अथवा खड़ी नहीं की जाती है ? किसी मोड़, चौरास्ता, भीड़ रास्ता, संकरी गली, संकरी पुलिया, बस स्टाप, टैक्सी स्टैन्ड, किसी दरवाजे के सामने तथा जहाँ NO PARKING बोर्ड लगा है।
Q. किस-किस जगहों पर गाड़ी ओरव टेक नहीं कि जा सकती है ?
Ans.
किसी मोड़, चौरास्ता, भीड़ रास्ता, संकरी गली, संकरी पुलिया बस स्टाप, टैक्सी स्टैन्ड, स्कुल, धर्मस्थान, मिलिटरी कैम्प तथा जहाँ NO OVERTAKING बोर्ड लगा है।
Q. सिगनल कितने दुर से देना चाहिए ?
Ans.
कम से कम १०० फुट दूर से।
Q. किन-किन गाड़ियो के ओवरटेक नहीं किया जा सकता है ?
Ans.
दमकल, वी.आई.पी. मिलिटरी, एम्बुलेन्स, और पुलिस गाड़ियो की।
Q. दिन के समय किस प्रकार ओवरटेक करना चाहिये ?
Ans
पहले कई बार हर्न बजाना होगा। उसके बाद आगे की गाड़ी बायें रख कर जब पासिंग सिगनल दे। उसके बाद ही अपनी गति बढ़ाकर आगे तथा पोछे की गाड़ी को दायाँ सिगनल दिखाकर हर्न बजाते हुए आगे निकल जाना चाहिए।
पहले कई बार हर्न बजाना होगा। उसके बाद आगे की गाड़ी बायें रख कर जब पासिंग सिगनल दे। उसके बाद ही अपनी गति बढ़ाकर आगे तथा पोछे की गाड़ी को दायाँ सिगनल दिखाकर हर्न बजाते हुए आगे निकल जाना चाहिए।
Q. रात के समय कैसे ओवरटेक किया जाता है ?
Ans.
पहले कुछ बार हेड लाइट को जला बुझा कर डीम डीपर करना होगा। तब सामने वाली गाड़ी बायें हट कर दायों और इन्डीकेटर जलायेगी तब अपनी गाड़ी की गति बढ़ा कर हर्न बजाते हुये आगे निकलना होगा।
Q. गैरेज से गाड़ी निकालने के पहले किन बातों पर ध्यान देना जरुरी है?
Ans.
गाड़ी के पहियों में हवा ठोक भरी है कि नहीं, यदि नहीं है तो हवा भर लेना
चाहियें। विन्ड स्क्रीन साफ कर लेना चाहिए।
★ (a) गाड़ी का बोनेट खोल कर जो चीज देखनी जरुरी है ---
रेडियटर में यदि पानी कम हो तो आउटलेट कॉक तक पानी भरना चाहिये। यदि रिजर्व टैंक है तो उसे टैंक की फुल मार्क तक भरना चाहिए।
बैटरी में डिस्टील वाटर कम रहने पर फिलर केप खोल कर प्लेट के हाफ इंच उपर या फुल मार्क तक भरना चाहिए। बैटरी के ऊपर नेगेटिभ और पोजिटिभ टर्मिनल पोष्ट साफ करना चाहिये। इंजन आयल इंजन के पास स्थित डिपस्टीक गेज से देख लेना चाहिए, कम होने पर फिलर केप खोल कर भरना चाहिये यदि अधिक हो तो इंजन के नीचे स्थित ड्रेन काक खोल कर जरूरत के अनुसार निकाल कर उसे फिर से टाइट कर देना चाहिये।
यदि बोनट खोलने पर मास्टर सिलिन्डर दिखाई पड़े (नयो माडल की गाड़ी) और उसमे ब्रेक ऑयल कम हो तो मास्टर सिलिन्डर के फिलर कैप, खोलकर फुल मार्क तक ब्रेक ऑयल डालकर सिलन्डर के फिलर कैप बन्द कर देना चाहिए।
यदि बोनट खोलने पर गियर बॉक्स दिखाई पड़े (मारुति कार या फ्रंट व्होल कार) तो गियर बाक्स का डीपस्टीक उठा कर देखना होगा तथा गियर आयल कम रहने पर जीपस्टीक गेज के बीच से आयल भरना होगा। यदि फैन बेल्ट ढीला हो तो उसे टाइट करना होगा।
डिस्टीवेटर से स्पार्क प्लग का तार और इगनेशन काइल का तार ढोला होने पर उसे
टाइट करना होगा।
देखलेना चाहिए की कार्बोरेटर में फुल पाइप ठीक से लगा है कि नहीं। यदि नही लगा हो तो उसे लगाना चाहिए और उसके बाद बोनेट बन्द करना चाहिए।
★ (b) गाड़ी की डीको खोल कर क्या देखना चाहिये ?
गाड़ी में अतिरिक्त टावर न रहने पर उसको लेना चाहिये पर खोलने का च और व्होल रेंच, जैक और हैन्डल न रहने पर लेना होगा। इन सब चीजों को देख कर डीको बन्द कर देना होगा।
★ (c) गाड़ी के ड्राइव सीट पर चालक के कया देखना होगा
चालक के स्थान पर बैठकर देखना होगा चलाने के लिए स्टीयरींग, हैन्ड ब्रेक, गीयर लीवर, पीछे का पोजीशन देखनेवाला आइना, हेड लाइट, डीमडीपर, इन्डिकेटर, हार्न, इगनेशन स्वीच चलाने का तथा पैर से चलाने का एक्सलेटर पैडल, ब्रेक बैडल, क्लाच पैडल दवाने और छोड़ने में असुविधा है कि नहीं, यदि होतो चालक के सीट को आगे पीछे करके ठीक कर लेना चाहिये।
साथ मे अपना ड्राइवीगं लाइसेन्स, आर.सी.बुक अथवा रेजिस्ट्रेशन सार्टिफिकेट जिसमे गाड़ी का सम्पुर्ण विवरण हो) टैक्स टोकेन, इन्सोरेन्स सार्टिफिकेट, प्रदुषण प्रमाण पत्र या पी.यु.सी, ये पाँचो कागजात अपनी गाड़ी चलाने के लिये जरुरी है। यदि भाड़े का गाड़ी हो तो उपरोक्त पाँच कागजातों के साथ, गाड़ी का परमीट, दुसरे की गाड़ी होने पर उसका अनुमति पत्र, और यदि गाड़ी में कोई माल भरा हो तो उसका चलान रसीद साथ में रखना चाहिये। इंजन स्टार्ट करने के पहले देखना होगा कि गीयर लिवर नियुट्रल पोजीशन में है कि नहीं। गाड़ी में एक टार्च और एक झाड़न रखना चाहिये।
Q. डैश बोर्ड किसे कहते है ?
Ans. ड्राइवर के सामने जहाँ मीटर, स्वीच, आदि रहते है उसे डैश बोर्ड कहते है।
Q. डैश बोर्ड में कितने मीटर रहते है और उनका क्या काम है ?
Ans. मुख्य ६ मीटर है :
क) एमपेयर मीटर -- इस मीटर से जाना जाता है कि डायनामो बैटरी को चार्ज कर रहा है या नही।
ख) हीट मीटर -- इससे यह जाना जाता है कि इन्जन कितना गर्म हु आ है।
ग) किलोमीटर -- इस मीटर से पता चलता है कि गाड़ी कितने किलो मोटर चल चुका है।
घ) स्पीड मोटर -- इससे पता चलता है कि गाड़ी प्रति घन्य कितने किलो मीटर के रफ्तार से चल रही है।
ङ) आयल मोटर -- ससे पता चलता है कि आयल पम्प ठीक से काम कर कर रहा है कि नहीं।
च) फ्युवेल मीटर -- इससे पता चलता है कि फुयेल टैंक में कितना पेट्रोल अथवा डीजल है।
Q. डैश बोर्ड पर कितने स्वीच रहते हैं ?
Ans.
प्रमुख पाँच होते हैं - जैसे
क) इगनिशन स्वीच - इसके द्वारा बैटरी से करेन्ट कायल तक जाता है।
ख) स्टार्ट स्वीच - इससे सेल्फ स्टार्टर चालु होकर इंजन के फलाई व्हील को घुमा कर इन्जनको चालु कर देता है।
ग) चोक स्वीच - सर्दियों में या सुवह इसके दबाने पर कार्बोरेटर का चोक भाल्व बन्द हो कर सिलिन्डर में हवा कम करके पेट्रोल ज्यादा भेजना है। जिससे इन्जन आसानी से चालू हो जाता है।
घ) वाइपर स्वीच - इससे कोहरा या वर्षा में विन्ड स्क्रीन पर पड़ने वाली पानी को साफ किया जाता है ताकि गाड़ी के सामने रास्ता साफ दिखाई दे।
ङ) हेड व साइड लाइट स्वीच - इससे हेड लाइट और साइड लाइटें जलती हैं।
Q. गाड़ीयों मे कितने प्रकार के तेल को जरुरत होती है ?
Ans.
प्रमुख पाँच प्रकार के तेल जरुरत होती है।
क) पेट्रोल - यह पेट्रोल टैंक में भरते है।
ख) मोबिल - यल मोबिल चेम्बर में भरते है यह साधारण तथा नये इन्जनों में पाँच सौ माइल (५००) और पुराने इन्जनों के लिये ढाई हजार माइल (२५००) चलने पर बदलते है।
ग) ब्रेक आयल - यह ब्रेक पेडल के नीचे अथवा साथ के मास्टर सिलेन्टर मे भरते है। ब्रेक आयल कम रहने पर ब्रेक नहीं लगता है।
घ) गीयर आयल - यह गीयर बाक्स में भरते है साधारणतः दस हजार (किमी) चलने पर इसे बदलते है।
ङ) सो आयल - इसे स्टीयारिगं बाक्स तथा डिफरेन्सीयल में भरते है। यह साधारणतः तथा दस हजार (किमी) गाड़ी चलने के बाद बदलते है।
Q. इन्जन में कितने पुली है ?
Ans. तीन - जैसे मेन या स्टाटीगं पुली, डायनामो पुली, और वाटर पम्प पुली। मेन पुली बेल्ट की मदद से डायनामो पुली और वाटर पम्य पुली को घुमाती है।
Q. इन्जन में कितने पम्प होते है ?
Ans. तीन जैसे --
क) ए.सी. पम्प - इन्जन के पास कैमसाफ्ट के तरह स्थित है। कैमसाफ्ट के द्वारा चलाये जाने से ये पेट्रोल टैंक से पेट्रोल लेकर कार्बोरेटर फ्लीट चेम्बर में भेज देता है।
ख) आयल पम्प - यह इन्जन ब्लाक की नीचे आयेल चेम्बर में स्थित होती है। यह कैमसाफ्ट द्वारा चालित होकर मोविल चेम्बर से मोबिल लेकर मेन वियरिंग, पुस रड, टैपेट कैम, वियरिगं जैसे चलायमान यन्त्रों में भेजकर घर्षण जनित क्षय और गर्मी से बचाता है।
ग) वाटर पम्प - इन्जन के सामने और पंखे के पीछे रहता है। इस का काम नीचे के होस पाइप के द्वारा रेडियेटर से ठंडा पानी लेकर इन्जन के वाटर जैकेट में भेजना है। और इन्जन से गरम पानी उपर की होस पाइप से फर वापस रेडियेटर में भेजना है। वाटर पम्प फैन बेल्ट से चलता है।
Q. डायनामो कहाँ रहता है? इसका काम क्या है और इसे कौन चलाता है ?
Ans. डायनामो इन्जन के सामने एक तरफ रहता है। इसका काम बिजली पैदा करके बैटरी को चार्ज करना है। स्टाीगं पुली फैन वेल्ट द्वारा डायनामों को चलाता है।
Q. कट आउट का क्या काम है ?
Ans. डाइनामों बैटरी को पुरा चार्ज देकर जो अतिरिक्त बिजली पैदा करता है उसे कट आउट नष्ट कर देता है जिससे बैटरी ओवर चार्ज नही होता है।
Q. बटरी का काम क्या है, और बैटरी में क्या देते है ?
Ans. इसका काम कम वोल्ट करेन्ट को जमा रखना है। गाड़ी में मुख्य रूप मे ६ वोल्ट और १२ वोल्ट का बैटरी होता है। ६ वोल्ट बैटरी में ३ और १२ वोल्ट मैटरी मे ६ फीलर रहते है इसमे प्लेट से हाफ इंन्च उपर तक डीस्टील वाटर भरकर रखना पड़ता है।
Q. सेल्फ का क्या काम है और यह कहाँ स्थित होता है ?
Ans. सका काम बैटरी का करेन्ट लेकर, आपने आप चालु होकर इंजन को चालु करना होता है। यह इंजन के पीछे के तरफ होता है।
Q. कॉयल का क्या काम है ?
Ans. इसका काम बैटरी के कम वोल्ट बिजली को अधिक बना कर डिस्ट्रीब्यूटर को भेजना होता है इसमें दो तरह के तार होते है। मोटे तार का नाम प्राइमरी वाइन्डीगं और पतले तार का नाम सेकेन्डरी बाइन्डीग होता है।
Q. डीस्ट्रीव्युटर का क्या काम है ?
Ans. इसका काम इन्जन के फायरिंग के अनुसार ठीक समय पर प्रत्येक प्लग में करेन्ट भेजना। इसमे रोटर, कन्डेनशर, सी.बी.पोयेन्ट, सेगमेन्ट पोयेन्ट कार्वन इत्यादि रहता है।
Q. प्लग का क्या काम है और यह कहाँ लगता है ?
Ans. प्लग का काम सिलेन्डर के गैस को जलाना है। जितने सिलेन्टर की गाड़ी होती है, उतने ही प्लग होते है, यह इन्जन के हेड पर होते है।
Q. कार्वोरिटर कहाँ होता है और उसका काम क्या है ?
Ans. कार्वोरिटर इनलेट मेनी फोल्ड पर स्थित होता है। कार्वोरिटर का काम तीन भाग पेट्रोल को साथ सिलन्डर गैस बनाना होता है यह गैस इनलेट मेनीफोल्ड के द्वारा इन्जन के फायरिंग चेम्बर मे पहुचता है। एम. पी. एफ. आइ. इन्जन में कार्वोरिटर नही होता है।
Q. पेट्रल सिस्टम या पेट्रोल मिक्सचर कया हैं ?
Ans. इन्जन चलाने के लिए पेट्रोल की जरुरत होता है। यह ईन्धन के रूप में जल कर शक्ति पैदा करते है। इगनिशन स्वीच चालु करके सेल्फ स्टोटर चालू करने पर इसके पेनियन इन्जन के फ्लाई व्हील तथा क्रैकं साफ्ट को घुमाता और तब कैम साफ्ट पेनियन के सहायता से फिर से कैम साफ्ट को घुमाता है और कैम साफ्ट रोकर आर्म कि सहायता से फुल पम्प को चालु करता है। फुयेल पम्प तब पेट्रोल टैक से होकर पेट्रोल पाइप से पेट्रोल कार्बोरेटर के फ्लोट चेम्बर में भेजता है। वहाँ से जेट की सहायता से मिश्रित पेट्रोल चेम्बर में पहुँचता है। और इसी समय एयर क्लीनर के द्वारा बाहर के साफ हवा के साथ मिलकर एक गैस बनती है इसी को पेट्रोल मिक्सचर या पेट्रल गैस कहते है। यही गैस इनलेट मेनीफोल्ड के द्वारा इंजन के फायरिंग चेम्बर में पहुँचती है। इसको पेट्रोल सिस्टम कहते है।
Q. इगनिशन सिस्टम क्या है ?
Ans. बैटरी का करेन्ट सेल्फ स्टर, एम्पायर मीटर, इगनिशन स्वीच कायल, डिस्ट्रीब्युटर स्पार्क प्लग के द्वारा पायप्रेगं चेम्बर में पहुँचता है। इसे इगनेशन सिस्टम कहते है। इगनेशन स्वीच चलने पर बैटरी को लो बोल्ट बिजली की कायल द्वारा हाई बोल्ट बना कर डिस्ट्रीब्यूटर में भेज दिया जाता है। डिस्ट्रीब्युटर तब इंन्जन के फायरिगं आर्डर के अनुसार ठीक-ठीक समय पर प्लग करेन्ट में भेज देता है। प्ल फायरिंग चेम्बर में पेट्रोल मिक्सचर में आग जला देता है। इस को इगनिशन सिस्टम कहते है।
Q. इन्जन कैसे काम करता है ?
Ans. इन्जन में शक्ति पैदा करने के लिए पिस्टन के चार बार उठना-बैठना पड़ता है। सेल्फ स्टॉटर चालु होने पर इसका पीनियन फ्लाई व्हील को घुमा देता है। जिससे कैम साफ्ट घुमने लगता है तब कनेक्टींग रड का एक सिरा कैम साफ्ट के साथ युक्त रहता है और एक सिरा सिलेन्डर के भीतर पिस्टन के साथ युक्त रहता है। जिससे पिस्टन उठता-गिरता है। पिस्टन की इस क्रिया को स्ट्रीक कहते है। पहले पिस्टन उपर से नीचे आता है तब इनलेट वाल्व खुल जाता है एवं कारवोरेटर के सहायता से पेट्रोल मिक्सचर तैयार होकर सिलेन्डर के भीतर चला आता है। इसे "साक्सन स्ट्रोक" कहते है। पुनः जब पिस्टन उपर उठता है। तब इनलेट वाल्व बन्द हो जाता है। वही पेट्रोल मिक्सचर को दबाव देकर ऊपर उठाकर लाता है। इसको कम्प्रेशन स्ट्रोक कहते है। ठीक उसी समय हाई वोल्ट करेन्ट की सहायता से वह प्लग उस मिक्सचर या गैस को जला देता है। इस जलाने की क्रिया को कमवारसन कहते है। इसके फलस्वरुप ये गैस पिस्टन को नीचे के तरफ धक्का देती है। इसको 'पावर स्ट्रोक' कहते हैं। जिसके फलस्वरुप पिस्टन नीचे उत्तर जाता है। इसके बाद पुनः जब पिस्टन उपर उठता है उस समय एकजेस्ट वाल्व खुल जाता है, जिससे उस जगह से जली हुई गैस बाहर निकल जाती है, इसको 'एकजस्ट 'स्ट्रोक' कहते है। इस प्रकार पिस्टन बार-बार उठ गिर कर जो शक्ति पैदा करता है। उसको ट्रासमिशन के द्वारा चया तक भेज कर गाड़ी को चलाने में सहायता करता है।
Q. इन्जन कितने प्रकार से ठंडा किया जाता है ? इन्जन अधिक गर्म होने पर कै से ठंडा किया जाता है ?
Ans. तीन प्रकार - जल, हवा, और इंजिन ऑयल की द्वारा। इंन्जन चालू रखके गाड़ी को किसी पेड़ की छाया में खड़ी करके रेडियेटर ड्रेन प्लग खोलकर पानी बहा कर उपर से ठंड पानी डालने पर इन्जन ठंडा होता है।
Q. फैन बेल्ट टुट या कट जाने पर कैसे बदलेगें ?
Ans. डायनामों एडजस्टीगं तार ढीला करके डायनामों को उँचा उठा कर फैन बेल्ट तौन पुली पर लगा कर एडजस्टींग तार पुनः टाइट करके फैन बैल्ट बदलना चाहिये।
Q. चार सिलिन्डर ६ सिलिन्डर इन्जन के फायरिंग आर्डर क्या है ?
Ans. चार सिलिन्डर - १, ३, ४, २ और ६ सिलिन्डर १, ५, ३, ६, २, ४
Q. डिजल और पेट्रल इन्जन में क्या अन्तर है ?
Ans. डीजल इन्जन में इगनिसन कायल, डिस्ट्रीव्युटर, प्लग, और कार्बोरेटर नहीं रहता है।"
पेट्रोल इन्जन में हीट प्लग, इन्जेक्टर फीट पम्प, डीजल फीलर नहीं रहता है।
